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मेरी परछाई मुझे जब भी भटकने लगते हैं मेरे विचार ,

मेरी परछाई मुझे जब भी भटकने लगते हैं मेरे विचार , 
भूलने लगता हूँ अपना व्यवहार । 
तब ढूंढ लाती है हरबार , 
मेरी परछाई मुझे । 

जब कभी चढ़ने लगते हैं , 
रंग कोई मुझपे बेगानी सी । 
तब ढूंढ लाती है हरबार , 
मेरी परछाई मुझे । 

जब मन बोझिल हो जाता संघर्षों से , 
टूटने लगता है उम्मीदों का जहान । 
तब ढूंढ लाती है हरबार, 
मेरी परछाई मुझे । 

यह जानती है मुझे , 
यह पहचानती है मुझे । 
इसीलिए ढूंढ लाती है हरबार, 
मेरी परछाई मुझे ॥ #मेरीपरछाईमुझे
मेरी परछाई मुझे जब भी भटकने लगते हैं मेरे विचार , 
भूलने लगता हूँ अपना व्यवहार । 
तब ढूंढ लाती है हरबार , 
मेरी परछाई मुझे । 

जब कभी चढ़ने लगते हैं , 
रंग कोई मुझपे बेगानी सी । 
तब ढूंढ लाती है हरबार , 
मेरी परछाई मुझे । 

जब मन बोझिल हो जाता संघर्षों से , 
टूटने लगता है उम्मीदों का जहान । 
तब ढूंढ लाती है हरबार, 
मेरी परछाई मुझे । 

यह जानती है मुझे , 
यह पहचानती है मुझे । 
इसीलिए ढूंढ लाती है हरबार, 
मेरी परछाई मुझे ॥ #मेरीपरछाईमुझे