गीत नया गाता हूँ टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर पत्थर की छाती मे उग आया नव अंकुर झरे सब पीले पात कोयल की कुहुक रात प्राची मे अरुणिम की रेख देख पता हूँ गीत नया गाता हूँ टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी अन्तर की चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा, काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूँ गीत नया गाता हूँ " "अटल बिहारी वाजपेयी " geet naya Gaata Hoon