मै मध्य में खड़ा हूं हर ओर देखता हूं मै जो भी बोलता हूं पर तुम्हें परहेज़ है (सम्पूर्ण रचना अनुशीर्षक मे पढें) मै मध्य में खड़ा हूं हर ओर देखता हूं मै जो भी बोलता हूं पर तुम्हें परहेज़ है मै जानता हूं कौन क्या है मै जानता हूं बात क्या है सत्य तुम्हें भी ज्ञात होगा