नजर के उस छोर पर आसमान की दीवार खड़ी है दूर बसी तन्हाई जो धूप ओढ़कर बैठी है खेतों में लेटी है या पैर पे पैर मोड़कर बैठी है मैं भी सोच में बैठा हूं कुछ ताने बाने लेकर खिड़की से झांकू मैं ख्याल सुहाने लेकर