लिख कर उसे ख़त आख़िर में जलाना भी था सामने मुस्कुरा कर कंबल में आँसू बहाना भी था सब समझते रहे नींद से अभी अभी जगा हुआ मुझको यार मर कर सुबह जिंदा सबको दिखना भी था उसके जाते हर कुछ छूट जाएगा हाथ से मेरे देर से ही सही पर ये वहम टूटना भी था मुसलसल ज़ाया करते रहे जज्बात गम ढकने में फ़क़त ठीक हूँ मैं ये घर पहुँचते माँ को केहना भी था हाथ पैर मार तैरता रहा यादों के समंदर में कई कई रात कामिल ख्वाब मुकम्मल करने कहीं से निकल कर कहीं पहुँचना भी था ।— % & #kunalpoetry #restzone #kunu #kunal #lovequotes #kamil #yqdidi #yqbaba