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सोते शहर में हमको जगाया गया।। कुछ इस तरह फिर आज

सोते शहर  में  हमको  जगाया गया।।
कुछ इस तरह फिर आजमाया गया।। 

इश्क की राह से तब्बजो छोड़ दिया।।
उसी राह पे चलने  को  बुलाया गया।। 

नहीं  आते  हम   वापस   गांव  उसके।।
उसकी शादी है ये बोल के बुलाया गया।। 

हिज्र की रात के जख्म  भर  ही जाते।।
मरहम दिखा  कर खंजर चलाया गया।। 

दिल  हमारा  हिन्दुस्तान  सा  हो  गया।।
नए नए चेहरे को राज को बुलाया गया।। 

खत लिखने की चाह उस रोज मर गई।।
जब मेरा खत मेरे  सामने जलाया गया।। 

बदनामी  की  सौहारत  इ_तनी  बड़ गई।।
किए बिना गुनाह का कुसूर लगाया गया।।

©Satyarth Jalalabadi #Luminance #safar #gazal #JINDHAGI #Raat #shahar #marham
सोते शहर  में  हमको  जगाया गया।।
कुछ इस तरह फिर आजमाया गया।। 

इश्क की राह से तब्बजो छोड़ दिया।।
उसी राह पे चलने  को  बुलाया गया।। 

नहीं  आते  हम   वापस   गांव  उसके।।
उसकी शादी है ये बोल के बुलाया गया।। 

हिज्र की रात के जख्म  भर  ही जाते।।
मरहम दिखा  कर खंजर चलाया गया।। 

दिल  हमारा  हिन्दुस्तान  सा  हो  गया।।
नए नए चेहरे को राज को बुलाया गया।। 

खत लिखने की चाह उस रोज मर गई।।
जब मेरा खत मेरे  सामने जलाया गया।। 

बदनामी  की  सौहारत  इ_तनी  बड़ गई।।
किए बिना गुनाह का कुसूर लगाया गया।।

©Satyarth Jalalabadi #Luminance #safar #gazal #JINDHAGI #Raat #shahar #marham