उनसे केहना, जो रूठे है इक दिन मान जाएंगे। अपने है दूर कहाँ जाएंगे।। थोड़ी मजबूरी उनकी भी सुन लेते है ना साहब। मजदूर है बेचारे,क्या यूँ ही मर जायेंगे।। -: gyanendra... #Hope_for_makers_of_the_nation