My dear poem तेरी मौजूदगी का असर है की अब तक ये सफर है जो वक़्त सम्भल नहीं पाता अब वो भी बेअसर है कुछ अल्फ़ाज़ों का नज़रिया बन जब उतरता है कागज़ पे कुछ तुझको सुकूँ मिलता है कुछ मुझपे भी असर है ZinDagi-e-SaGar #poetry#mydearpoem तेरी मौजूदगी का असर है की अब तक ये सफर है जो वक़्त सम्भल नहीं पाता अब वो भी बेअसर है कुछ अल्फ़ाज़ों का नज़रिया बन जब उतरता है कागज़ पे