रा.. मं...र क्या सिर्फ कहने के लिए हम सब एक हैं.. और धर्म, आस्था के नाम पर, हमारे दिलों में नफरतों के गुबार हैं...! एक भाई दूसरे का घर बनते क्यों नहीं देख सकता? क्या सिर्फ इसलिए की हमारी आस्था में फर्क हैं...! बड़े गर्व से हम विविधता में एकता कहते हैं, मगर इतिहास के काले पन्नों को देख, वर्तमान में अपनों से लड़ते हैं...! पूछिएगा अपने आपसे कभी.. क्या आज कोई रंग, रूप, धर्म, जाती का भेद हमारे बिच बचा हैं..? दोस्तों इन सारी बातों में कुछ लोगों का, सिर्फ वोट बैंक छिपा हैं..! संदीप मनोहर कोठार ०५-०८-२०२० रा.. मं...र क्या सिर्फ कहने के लिए हम सब एक हैं.. और धर्म, आस्था के नाम पर, हमारे दिलों में नफरतों के गुबार हैं...! एक भाई दूसरे का घर बनते क्यों नहीं देख सकता? क्या सिर्फ इसलिए की हमारी आस्था में फर्क हैं...!