अगर मैं प्रधानमंत्री होता अनुशीर्षक में पढ़े किसी की भावनाओं को आहत किया हो, या कुछ गलत लिखा हो तो क्षमा मांगता हूँ 🙏 अगर मैं प्रधानमंत्री होता:_ राजनीति जो वर्तमान परिप्रेक्ष्य में एक गलत विचार धारा का दलदल बन गया हैं, जहां जाकर कोई वापस लौट कर नहीं आता हैं। निजी स्वार्थ की भेंट राजनीति चढ़ गई हैं। लोकतांत्रिक देश मेरा भारत आज इस विकराल समस्या से लड़ रहा हैं। मैं देश का प्रधानमंत्री होता तो राजनीति में ही बदलाव करता, राजनीति में बदलाव आवश्यक हैं। बिना योग्यता के उच्चतम पद जो दिया जाता हैं (वर्तमान परिप्रेक्ष्य में) उन सभी के लिए योग्य