एक अधूरी तस्वीर क़ैद है ज़हन में, जो लौट आओ तो मुकम्मल हो जाएँ वो रस्मो-रिवाज जो क़ातिल है तुम्हारे, छोड़ आओ तो ज़िंदगी आबाद हो जाएँ बुझे चिराग़ लिये तुम घूमते हो शहर में, लगालो दाग मुझसा की वो चाँद हो जाएँ