Nojoto: Largest Storytelling Platform

यार कॉमरेड, होली का त्यौहार जब भी आता है तब तब मन

यार कॉमरेड,
होली का त्यौहार जब भी आता है तब तब मन में स्कूल वाली होली की यादें, रंग बिखेरने लगती हैं।तुम्हारे गालों पर अपने हाथों से गुलाल लगाना , तुम्हें स्पर्श करने का एक बहाना हुआ करता था।तुम्हारी चोटी के बीच चटक लाल रंग डाल कर जो खुशी मिलती थी। वो शायद तुम्हारी मांग भरने के पश्चात भी प्राप्त ना हो।मुझे नहीं पता की आज जब कोई तुम्हारे गालों पर गुलाल लगाता है तो तुम मेरा स्पर्श याद करती हो या नहीं लेकिन हां इतना जरूर जानता हूं कि आज के दिन मेरी हिचकियों में इजाफा इस बात का संकेत जरूर देता है।आज भी तुम्हारी टिफिन वाली गुजिया  और एस्से याद आते हैं।गेहूं की कच्ची बालियों के साथ  हमारी कच्ची उम्र के प्रेम को परिपक्व करते हुए कई बार मेरे हाथों को आग की लपटों ने घायल किया और जब ये परिपक्व हुआ तब तक हमारी जिंदगी  के रंगों से किसी और ने तुम्हारी मांग भर दी थी।सच बताऊं मुझे नहीं पता था रंगों का महत्व और ताकत।खैर छोड़ो यार पुरानी बाते और सुनो,होली मुबारक।..तुम्हारा चटक रंगहीन
.....#जलज कुमार राठौर

©JALAJ KUMAR RATHOUR यार कॉमरेड,
होली का त्यौहार जब भी आता है तब तब मन में स्कूल वाली होली की यादें, रंग बिखेरने लगती हैं।तुम्हारे गालों पर अपने हाथों से गुलाल लगाना , तुम्हें स्पर्श करने का एक बहाना हुआ करता था।तुम्हारी चोटी के बीच चटक लाल रंग डाल कर जो खुशी मिलती थी। वो शायद तुम्हारी मांग भरने के पश्चात भी प्राप्त ना हो।मुझे नहीं पता की आज जब कोई तुम्हारे गालों पर गुलाल लगाता है तो तुम मेरा स्पर्श याद करती हो या नहीं लेकिन हां इतना जरूर जानता हूं कि आज के दिन मेरी हिचकियों में इजाफा इस बात का संकेत जरूर देता है।आज भी तुम्हारी टिफिन वाली गुजिया  और एस्से याद आते हैं।गेहूं की कच्ची बालियों के साथ  हमारी कच्ची उम्र के प्रेम को परिपक्व करते हुए कई बार मेरे हाथों को आग की लपटों ने घायल किया और जब ये परिपक्व हुआ तब तक हमारी जिंदगी  के रंगों से किसी और ने तुम्हारी मांग भर दी थी।सच बताऊं मुझे नहीं पता था रंगों का महत्व और ताकत।खैर छोड़ो यार पुरानी बाते और सुनो,होली मुबारक।......तुम्हारा चटक रंगहीन प्रेमी
.....#जलज कुमार राठौर
यार कॉमरेड,
होली का त्यौहार जब भी आता है तब तब मन में स्कूल वाली होली की यादें, रंग बिखेरने लगती हैं।तुम्हारे गालों पर अपने हाथों से गुलाल लगाना , तुम्हें स्पर्श करने का एक बहाना हुआ करता था।तुम्हारी चोटी के बीच चटक लाल रंग डाल कर जो खुशी मिलती थी। वो शायद तुम्हारी मांग भरने के पश्चात भी प्राप्त ना हो।मुझे नहीं पता की आज जब कोई तुम्हारे गालों पर गुलाल लगाता है तो तुम मेरा स्पर्श याद करती हो या नहीं लेकिन हां इतना जरूर जानता हूं कि आज के दिन मेरी हिचकियों में इजाफा इस बात का संकेत जरूर देता है।आज भी तुम्हारी टिफिन वाली गुजिया  और एस्से याद आते हैं।गेहूं की कच्ची बालियों के साथ  हमारी कच्ची उम्र के प्रेम को परिपक्व करते हुए कई बार मेरे हाथों को आग की लपटों ने घायल किया और जब ये परिपक्व हुआ तब तक हमारी जिंदगी  के रंगों से किसी और ने तुम्हारी मांग भर दी थी।सच बताऊं मुझे नहीं पता था रंगों का महत्व और ताकत।खैर छोड़ो यार पुरानी बाते और सुनो,होली मुबारक।..तुम्हारा चटक रंगहीन
.....#जलज कुमार राठौर

©JALAJ KUMAR RATHOUR यार कॉमरेड,
होली का त्यौहार जब भी आता है तब तब मन में स्कूल वाली होली की यादें, रंग बिखेरने लगती हैं।तुम्हारे गालों पर अपने हाथों से गुलाल लगाना , तुम्हें स्पर्श करने का एक बहाना हुआ करता था।तुम्हारी चोटी के बीच चटक लाल रंग डाल कर जो खुशी मिलती थी। वो शायद तुम्हारी मांग भरने के पश्चात भी प्राप्त ना हो।मुझे नहीं पता की आज जब कोई तुम्हारे गालों पर गुलाल लगाता है तो तुम मेरा स्पर्श याद करती हो या नहीं लेकिन हां इतना जरूर जानता हूं कि आज के दिन मेरी हिचकियों में इजाफा इस बात का संकेत जरूर देता है।आज भी तुम्हारी टिफिन वाली गुजिया  और एस्से याद आते हैं।गेहूं की कच्ची बालियों के साथ  हमारी कच्ची उम्र के प्रेम को परिपक्व करते हुए कई बार मेरे हाथों को आग की लपटों ने घायल किया और जब ये परिपक्व हुआ तब तक हमारी जिंदगी  के रंगों से किसी और ने तुम्हारी मांग भर दी थी।सच बताऊं मुझे नहीं पता था रंगों का महत्व और ताकत।खैर छोड़ो यार पुरानी बाते और सुनो,होली मुबारक।......तुम्हारा चटक रंगहीन प्रेमी
.....#जलज कुमार राठौर

यार कॉमरेड, होली का त्यौहार जब भी आता है तब तब मन में स्कूल वाली होली की यादें, रंग बिखेरने लगती हैं।तुम्हारे गालों पर अपने हाथों से गुलाल लगाना , तुम्हें स्पर्श करने का एक बहाना हुआ करता था।तुम्हारी चोटी के बीच चटक लाल रंग डाल कर जो खुशी मिलती थी। वो शायद तुम्हारी मांग भरने के पश्चात भी प्राप्त ना हो।मुझे नहीं पता की आज जब कोई तुम्हारे गालों पर गुलाल लगाता है तो तुम मेरा स्पर्श याद करती हो या नहीं लेकिन हां इतना जरूर जानता हूं कि आज के दिन मेरी हिचकियों में इजाफा इस बात का संकेत जरूर देता है।आज भी तुम्हारी टिफिन वाली गुजिया और एस्से याद आते हैं।गेहूं की कच्ची बालियों के साथ हमारी कच्ची उम्र के प्रेम को परिपक्व करते हुए कई बार मेरे हाथों को आग की लपटों ने घायल किया और जब ये परिपक्व हुआ तब तक हमारी जिंदगी के रंगों से किसी और ने तुम्हारी मांग भर दी थी।सच बताऊं मुझे नहीं पता था रंगों का महत्व और ताकत।खैर छोड़ो यार पुरानी बाते और सुनो,होली मुबारक।......तुम्हारा चटक रंगहीन प्रेमी .....#जलज कुमार राठौर