कविता- वो तो आसमां की परी है वो तो आसमां की परी है, मेरे पास कैसे ठहरेगी। मै तो मिट्टी का खिलोना हूँ, पास आने पर वह लिटता ही रहेगी।। परियों का प्यार तो आसमां से है, मिट्टियो से वह कैसे कर सकती है। हर वक़्त उसे खुशियाँ चाहिए, छोटी सी भी दुखों को वह कैसे सह सकती है।। चांद तलक रहने वाली। कब तक खिलोना "रौशन" के पास रहेगी। वो तो दिन मे भी तारे गिना करती है, ज़मी पर रहकर वह फिर कैसे गिना करेगी।। ✍✍रौशन रात सूरज ✍✍ तुम्बापतरा, सिमरिया, चतरा ,झारखण्ड from-YSM Ranchi रौशन कविता संग्रह से फिर एक बार नयी कविता प्रस्तुत