1. सब अपने मां बाप का सपना पूरा कर गए, हम ना जाने किस भंवर में डूबे कि मझधार में रह गए। 2 .कोशिश का शीर्षक हमे मिला, कामयाबी का पायदान वो ले गए, हम राही रास्ते में उलझे, वो मुसाफिर मंजिल तक पहुंच गए। 3. धूप - छांव हमने भी देखी, पसीना भी खूब बहाया, पर ताजपोशी के वक्त वो तकता पलट कर गए। 4. और इस साल की इज्जत, पैसा तो दूर कीमती जवानी भी दाव पर रही, हम उसूलों पर चलते रहे, वो पीठ पर वार कर गए। 5. अंतत सब सरकारी नौकर, हम बेरोजगार ही रह गए । ©maisamjhdar #udas #berojgari ,#उदास,#poetry