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मुझे याद ना आओ कि अब बेजार है दिल शम्मे महफ़िल न ज

मुझे याद ना आओ कि अब बेजार है दिल
शम्मे महफ़िल न जलाओ कि बेजार है दिल

अब कि बस मर के मै आज़ाद होना चाहता हूं
कोई खंजर तो घुसाओ कि बेजार है दिल

मुद्दतों एक लफ्ज़ जिनके सुनने को तरसा हूं
उनकी ग़ज़ल ही सुनाओ कि बेजार है दिल

आज रुसवा हैं वो जो लख्ते जिगर होते थे
उनके शिकवे ही सुनाओ कि बेजार है दिल

चाहता हूं कि उनके जानों पे मेरा सर हो
कहीं से उनको बुलाओ की बेजार है दिल

लुत्फ़- ए- ज़िन्दगी में अब नहीं कटती रातें
मौत की शाम ही लाओ की बेजार है दिल.. #nojoto
#बेज़ार
मुझे याद ना आओ कि अब बेजार है दिल
शम्मे महफ़िल न जलाओ कि बेजार है दिल

अब कि बस मर के मै आज़ाद होना चाहता हूं
कोई खंजर तो घुसाओ कि बेजार है दिल

मुद्दतों एक लफ्ज़ जिनके सुनने को तरसा हूं
उनकी ग़ज़ल ही सुनाओ कि बेजार है दिल

आज रुसवा हैं वो जो लख्ते जिगर होते थे
उनके शिकवे ही सुनाओ कि बेजार है दिल

चाहता हूं कि उनके जानों पे मेरा सर हो
कहीं से उनको बुलाओ की बेजार है दिल

लुत्फ़- ए- ज़िन्दगी में अब नहीं कटती रातें
मौत की शाम ही लाओ की बेजार है दिल.. #nojoto
#बेज़ार