पल्लव की डायरी हया शर्म की मै मारी नही कर सकती थी मनमानी नर के आगे मारी जाती मति हमारी चूल्हे चौके घुघट में पिस कर धरी रह जाती अरमानो की कहानी बचपन मे पिता फिर भाई जबानी में पति की करती गुलामी बुढ़ापे में बच्चों के सामने लाचारी चुप चुप रहकर इतिहासों से नदारत थी नारी प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #ShiningInDark चुप चुप रहकर इतिहासों से नदारद थी नारी