मुहब्बत स़जा थीं हीर के लिए वो मेरी भी स़जा बन गयी पाने की चाहत थीं तुझको तू मेरी दूरी बन गयी गुनाह हैं मुहब्बत अभी तक सुना था आज तू मुक़म्मल मिलीं ना तों देख भी ली चाहत थीं तुझसे मिलने की देख ये कैसी चाहत हैं तुझसे बिछड़ने की .. तू भी तों मुहब्बत होगी ना किसी ना किसी की फिर मेरी ही क्यूं नहीं जोर आजमाइश मैनें भी तों की थीं फिर बिछडना मेरा ही क्यूं .. तूने दर्द को देखा हैं क्या मिले तों इक सवाल करना तू दर्द हैं तों दर्द देता क्यूं हैं कोई दवा भी दर्द की रखता हैं क्या ..2 © Manish Raj Eklvya #womensday2021