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ख्वाहिशों का महल हर रोज़ देखती हूँ ख़्वाब कई, उन

ख्वाहिशों का महल 

हर रोज़ देखती हूँ ख़्वाब कई,
उन्हें सच करना अभी बाकी है 
जज़्बातों की नींव तो रख ली है हमने,
ख्वाहिशों का महल बनाना अभी बाकी है 

सभी नीचे हमें गिराने में लगे हैं,
उन्हें अपनी काबिलियत दिखाना बाकी है 
नज़र है हमारी सुदूर आसमां पर,
बस पंख फैला हमारा उड़ना बाकी है 

भीड़ का हिस्सा हमें बनना नहीं है,
अपनी अलग दुनिया बनाना अभी बाकी है 
कोई भी लड़ाई चाहे क्यूँ ना लड़नी पड़े हमें,
उसके लिए खुद को तैयार करना अभी बाकी है 

मुसीबतें साथ ही खड़ी रहती हैं हमारे सदा,
उनको परास्त करना अभी बाकी है 
अभी तो की है हमने बस शुरुआत,
मंज़िल तक का कठिन सफ़र अभी बाकी है

©Poonam Suyal
  #kabiliyat