मुझमें तू इतना समाया ना कर, प्यार इतना भी मुझसे जताया ना कर। बाहर भी दुनिया है, मुझे देखनी है अभी, इस दुनिया से मुझको, पराया ना कर। मैं मस्त परिंदा हूं, थोड़ा उड़ने दे मुझे, एहसास जिम्मेदारी का, कराया ना कर। तू डर मत, मैं तुझसे दूर नहीं जाऊंगा, यह सोच कर खुद को, सताया ना कर। फिकर तुझे ज्यादा तो थोड़ी,मुझे भी होगी, मेरे सामने तू आंसू, बहाया ना कर। इश्क की चासनी में डूब कर, मीठा हुआ हूं मैं, मीठा ज्यादा तू मुझको, खिलाया ना कर। "ओमबीर काजल" ने गौर से पढी हैं, दिल की किताबें, पाठ इश्क का तू मुझको, पढ़ाया ना कर। ©Ombir Kajal प्यार इतना भी