इत्तु सा पैगाम सफ़र के नाम।
मंज़िल का पता नहीं... सफ़र मज़ेदार था, लगा ऐसा की ख़्वाब देख रहा था।
जो ब्यान ना कर सका शब्दों से... उसे मैं कैद कर रहा था, फ़ोन में मैं अपनी इत्तु सी दुनियाँ बना रहा था।
सफ़र में कुछ Bluetooth के पीछे भाग रहे थे, तो कुछ गानों में अपनी कहानी बता रहे थे।।
कुछ उनको देख ख़ुश हो रहे थे ,तो कुछ उनकी खुशी में अपनी खुशी बसा रहे थे।
कुछ खिड़की से बाहर बारिश की बूंदों से दोस्ती कर रहे थे ,तो कुछ हरियाली को दिल में बसा रहे थे।
कुछ sandwich से अपनी भूख मिटा रहे थे मानो sandwich ही