चाहत का दरिया भरा है मुझमें सनम तेरे ही लिए, सारी दुनिया से हम लड़ गए थे तेरे प्यार के लिए। जानते हैं हम कि तुम्हें भी यकीन है हमारे प्यार पर पर फिर भी घड़ी घड़ी तैयार नहीं इम्तिहान के लिए। आज़माकर ना देख मुझको वक्त बेवक्त तू मेरे सनम, एक बार में बता दे कि क्या करूं तेरे यकीन के लिए। धीरे धीरे अब हमारे सब्र का बांध टूटने सा लगा है, बांँधा है हमने तुझ संग बंधन ना कि जमाने के लिए। हाल-ए-दिल समझकर"एक सोच"का बदल ले आदत, वरना चले जाएंगे हम फिर ना लौट के आने के लिए। ♥️ Challenge-529 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।