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मैं एक फ़साना था। जो हो उससे वो नाराज़ मेरे पास आ

मैं एक फ़साना था।

जो हो उससे वो नाराज़ मेरे पास आती थी।
मैं उसे देख कर खुश ,बात कर खुश वो हो जाती थी

उसके एक sorry बोलने से उसे उसके पास ही जाना था।
वही था उसकी जिंदगी मैं तो बस एक फसाना था।

उसकी नादानियां , मशुमियत उसकी दिल को छू जाति थी।
मैं जो करू किसी और की बात वो भी कहां सुन पाती थी 

दिल में मेरी थी पहली नजर से वो उसके दिल से मैं अनजाना था।
वही था उसकी जिंदगी मैं तो बस एक फसाना था।

to be continued.....  

#MSwrites

©Manish Kumar Singh #secondoption #Love
मैं एक फ़साना था।

जो हो उससे वो नाराज़ मेरे पास आती थी।
मैं उसे देख कर खुश ,बात कर खुश वो हो जाती थी

उसके एक sorry बोलने से उसे उसके पास ही जाना था।
वही था उसकी जिंदगी मैं तो बस एक फसाना था।

उसकी नादानियां , मशुमियत उसकी दिल को छू जाति थी।
मैं जो करू किसी और की बात वो भी कहां सुन पाती थी 

दिल में मेरी थी पहली नजर से वो उसके दिल से मैं अनजाना था।
वही था उसकी जिंदगी मैं तो बस एक फसाना था।

to be continued.....  

#MSwrites

©Manish Kumar Singh #secondoption #Love