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जाड़ों की गुनगुनी धूप गर्मियों की शामें और बरसात की

जाड़ों की गुनगुनी धूप
गर्मियों की शामें
और बरसात की हरियाली
मुझे मायूस करते हैं
मैं कुछ खो सा जाता हूँ
फिर.... 🌻🌺
कभी तेरे ख्यालात
और कभी मेरे जज़्बात
हावी होते जाते हैं
फिर एक सावन आता है
सब कुछ बह सा जाता है
मुझे महसूस होता है
अगर मैं हूँ तो फिर क्यूँ हूँ
मन जाने क्या क्या कह जाता है
पर दर्द अनसुना सा रह जाता है ...!

©Mahendra
  kuch ankaha sa
mahendra3752

Mahendra

Bronze Star
New Creator

kuch ankaha sa #Shayari

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