ज़न्नत ज़ुनून है वो ,हौसला है मेरा,जन्नत है मेरी! वो रहती है जहाँ उसका डेरा जन्नत है मेरी! जख़्म ,ग़म, दर्द सब से नजात मिलती है! महबूबा की बाहों का घेरा जन्नत है मेरी ! शहर के आब ओ हवा में बस घुटन है अब! मेरे गाँव का छोटा सा वो बसेरा जन्नत है मेरी ! दर-दर फिरा मत कर खुशीयों की ख़ातिर! कि माँ-बाप के पैरों में ही तेरा जन्नत है मेरी ! तीरगी-ए-शब-ए-हिज्र रूलाता है बड़ा! इस तीरगी-ए-ग़म का सवेरा जन्नत है मेरी ! ख़ुद को बड़ा ही महफूज़ पाता हूँ"जाज़िब"! ये रातें,कलम-कागज,ये अंधेरा जन्नत है मेरी! ज़ुनून है वो ,हौसला है मेरा,जन्नत है मेरी! वो रहती है जहाँ उसका डेरा जन्नत है मेरी! जख़्म ,ग़म, दर्द सब से नजात मिलती है! महबूबा की बाहों का घेरा जन्नत है मेरी ! शहर के आब ओ हवा में बस घुटन है अब! मेरे गाँव का छोटा सा वो बसेरा जन्नत है मेरी !