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शीर्षक : अबॉर्शन (पार्ट 1) कलमूही, कलंक, कुंठा औ

शीर्षक :  अबॉर्शन (पार्ट 1)

कलमूही, कलंक, कुंठा और ना जाने क्या क्या कहलाती है,
अब मेरी माँ अपने नाम से कहा जानी जाती है.. कलमूही, कलंक, कुंठा और ना जाने क्या क्या कहलाती है, 
अब मेरी माँ अपने नाम से कहा जानी जाती है..

मुझे अपनाने की सजा तुझे कुछ इस कदर दी जाती है,
की अपनों के ही बीच अब हमेशा खुद को अकेला पाती है..

क्यूँ माँ ये दुनिया तुझे क्यों इतना सताती हैं ?
रोज तोड़ के दिल तेरा तुझे आजमाती हैं..
शीर्षक :  अबॉर्शन (पार्ट 1)

कलमूही, कलंक, कुंठा और ना जाने क्या क्या कहलाती है,
अब मेरी माँ अपने नाम से कहा जानी जाती है.. कलमूही, कलंक, कुंठा और ना जाने क्या क्या कहलाती है, 
अब मेरी माँ अपने नाम से कहा जानी जाती है..

मुझे अपनाने की सजा तुझे कुछ इस कदर दी जाती है,
की अपनों के ही बीच अब हमेशा खुद को अकेला पाती है..

क्यूँ माँ ये दुनिया तुझे क्यों इतना सताती हैं ?
रोज तोड़ के दिल तेरा तुझे आजमाती हैं..

कलमूही, कलंक, कुंठा और ना जाने क्या क्या कहलाती है, अब मेरी माँ अपने नाम से कहा जानी जाती है.. मुझे अपनाने की सजा तुझे कुछ इस कदर दी जाती है, की अपनों के ही बीच अब हमेशा खुद को अकेला पाती है.. क्यूँ माँ ये दुनिया तुझे क्यों इतना सताती हैं ? रोज तोड़ के दिल तेरा तुझे आजमाती हैं.. #yqbaba #yqdidi #किलकारी