"परबन्धन मुक्ति संभव। स्वबन्धन मुक्ति असंभव।।" ( जो दूसरों के बंधन में हो, उसका छूट जाना तो फिर भी संभव है। परंतु जो अपने ही मन के बंधन में बंध गया हो, उसका मुक्त होना बहुत मुश्किल है।) ©Lavi Chauhan #बंधन