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बचपन में क्या कमाल की नींद आती थी जब मां लोरी गाक

बचपन में क्या कमाल की नींद आती थी 
जब मां लोरी गाकर सुलाती थी 

अरिजीत के गाने भी वो काम नहीं करते 
जो मां की थपकी वाली लोरी कर जाती थी

जो नींद अब घंटो तक करवटे बदलने पर नहीं आती 
वो उसकी गोद में सर रखते ही पल में आती थी 

पता नहीं मां उस माथा चूमने में कौन सी दबा मिलाती थी
सारी दिन भर की थकान पल भर में उड़ जाती थी 

बचपन में भी क्या कमाल की नींद आती थी 
जब मां लोरी गा कर सुलाती थी मां की लोरी वाली नींद
बचपन में क्या कमाल की नींद आती थी 
जब मां लोरी गाकर सुलाती थी 

अरिजीत के गाने भी वो काम नहीं करते 
जो मां की थपकी वाली लोरी कर जाती थी

जो नींद अब घंटो तक करवटे बदलने पर नहीं आती 
वो उसकी गोद में सर रखते ही पल में आती थी 

पता नहीं मां उस माथा चूमने में कौन सी दबा मिलाती थी
सारी दिन भर की थकान पल भर में उड़ जाती थी 

बचपन में भी क्या कमाल की नींद आती थी 
जब मां लोरी गा कर सुलाती थी मां की लोरी वाली नींद

मां की लोरी वाली नींद #कविता