आज तुम्हे गए हुए ग्यारह साल हो गए । औऱ ये साल बढ़ते ही जायेंगे । मैं आज भी तुम्हारा आँचल ढूंढता हूँ । आज भी वही बच्चा हूँ जो तुम्हारे पास सोता था और हर रोज इंतजार करता था कि तुम बोलके उठाओगी की उठ जा बच्चे सुबहा हो गयी । अब ना तो वो सुबह आती है ना ही कोई उठाता है । मैं अभी भी उस दिन को याद करके सहम जाता हूँ जब मुझे बुआ जी ने बताया की माँ तो गयी तेरी दादी माँ गयी । मानो सब कुछ खत्म हो गया । लगा की अब क्या होगा कैसे रहुँगा और मैं आज तक यही सोचता हूँ की शायद वो सपना होता लेकिन अब यकीन होने लगा है ये हकीकत है सब सच है । कैसे भागा भागा बड़के के ट्यूशन गया था । जब सोचता हूँ तो वो सारा मंजर आखो के आगे से एक फिल्म सी चल जाती है । उस बच्चे का मासूम सा चहरा सामने आ जाता है । कैसे हम सब तुमको लेकर गए थे दिल्ली से मेरठ से घर और आज भी मैं कपिल भईया की हिम्मत को दात देता हूँ जो गाड़ी चला कर लेकर गए । शनिवार में तुम गयी रविवार को तुम्हे पंचतत्वो में वलीन किया फिर सोमवार को आकर अंग्रेजी का पेपर दिया । और यही कारण है कि मैं किसी काम की कोई खुशी नही मानता होली दीवाली नही मनाता । सोचता हुँ की जब तुमसे किया वादा पूरा कर लूंगा तब सोचूंगा । जब कोई मन की बाते कहने को नही मिला तो लिखना शुरू कर दिया । लेकिन आज तक वो नही लिख पाया जो लिखने के लिए शुरू किया है । कभी कभी लिख भी देता हूँ । मैंने पहले कविता तुम्हारे लिए लिखी थी 'बूढ़ी अम्मा' । बहुत सारा प्यार दादी माँ , बहुत सारा प्यार बूढ़ी अम्मा । Dadi Maa I'm NoT RiGhT GooD jUst RelExcEs tHe HeArT A One TRy nD SoMe mIstAkEs #Diwan #Dadi_maa