जलते शोलों को सिंदूरी शाम में बदल अपने आग़ोश में समेटा हो जैसे तपती दोपहरी में ढलती शाम का कतरा लिपटा हो जैसे इस शजर ए गुलमोहर के साये में किसी के इंतज़ार की इंतहा भी हो जाए फिर भी यूँ लगे बस एक लम्हा खिसका हो जैसे #naturelove #nature #gulmohar #spring