सुबह सवेरे सूरज जागा, कपड़ो में इत्र लगाया देख आइने में वो खुद को, मन ही मन मुस्काया कौन है इतना बांका छैला वो खुद से ही बोल थोड़ा दाएँ, थोड़ा बाएँ, फिर पैर पे खुद को तोला हाथ फेर कर सर पर अपने फूला नहीं समाया सुबह सवेरे सूरज जागा, कपड़ो में इत्र लगाया बन ठान कर निकला आँगन में और कुर्ती मंगवाई कल ही तो माँ ने थी उसकी, चम चम से रंगवाई और हाथ में ले कर उसने दही बताशा खाया सुबह सवेरे सूरज जागा, कपड़ो में इत्र लगाया निकल पड़ा फिर आसमान में अंधेरे से लड़ने हर नुक्कड़ में, हर कोने में नई रोशनी जड़ने वादा था खुद से ही उसका जो उसने रोज निभाया सुबह सवेरे सूरज जागा, कपड़ो में इत्र लगाया सुबह सवेरे सूरज जागा, कपड़ो में इत्र लगाया देख आइने में वो खुद को, मन ही मन मुस्काया ~ सुराजनाम ©Mo k sh K an #Zen #Hope #poem #story #Nojoto #grit #mokshkan #moments_of_mindfullness