ये जो बादल धुँआ -धुँआ सा दिखता है, सच ये है की सीने में आग इसके भी जलता हैं। कई ग़म है जो वह ख़ुद में समेटे रहता हैं, छलकता है दर्द जो बूँद बनकर गिरता हैं। ©rupesh sharma ये जो बादल धुँआ -धुँआ सा दिखता है, सच ये है की सीने में आग इसके भी जलता हैं। कई ग़म है जो वह ख़ुद में समेटे रहता हैं, छलकता है दर्द जो बूँद बनकर गिरता हैं। #RupeshSharma #Shayari #Love #Life