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फागुन के महीने में, सतरंगी गुलाल उड़ाता आया रे आय

फागुन के महीने में, सतरंगी गुलाल उड़ाता
 आया रे आया होली का त्योहार 
ईर्ष्या, द्वेष को हरता दिलों में रंग प्रेम का भरता
 आया रे आया होली का त्योहार
 चंग बजे, मृदंग बजे, नाचे राधा रानी 
कर सोलह सिंगार 
संग ग्वाल बालों के आया रे आया, होली का त्योहार 
नटखट है कृष्ण कन्हैया, पलक झपकते ही
 अंग- अंग रंग दिया राधा का 
मारी पिचकारी की धार 
आया रे आया, होली का त्योहार
 घेर लिया अब राधा ने, कृष्ण कन्हैया को 
संग गोपियों के, रंगने लगी अंग अंग 
बीच वृंदावन बरसन लागा प्यार 
आया रे आया होली का त्यौहार 
पीके भंग अंगना अंग से लिपट रही 
भर उमंग  दिल में, मल रही बेसुध बदन पर
 अबीर ओ गुलाल, रंग दिया राधा ने कान्हा को
 रंग दिया कान्हा ने राधा को 
एक रंग में रंग, अंग &अंग रूप हुआ
 दोनों का एकाकार आया रे आया, होली का त्योहार।
आजाद राजावत की तरफ से सभी पाठकों को होली की हार्दिक शुभकामनाएं

©Azaad Pooran Singh Rajawat
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