आवारगी मुझे जीना है तुझे जी भर के जिंदगी , टुकड़ों में जीना मुझे गवारा नहीं , मेरे इश्क़ की शिद्दत लफ्जों से न आँकना , आवारगी है फितरत मे मेरी ..मैं आवारा नही, चाहा था कि डूब कर पहुंच जाऊँ किनारे पर कहीं, लाइल्म था ,दरिया-ऐ-इश्क़ का किनारा नही।।। आवारगी #yuorquote #yourquotedidi #yourquotes