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छोटी सी उमर थी छोटे से सपने उड़ना नहीं था आसमान म

छोटी सी उमर थी छोटे से सपने 
उड़ना नहीं था आसमान में 
बस खड़ा होना था पैरों पर अपने
मेहनत मैंने पुरी की
बल्कि ज्यादा जीतनी जरूरी थी
सोचा थोड़ा तो लोग देंगे साथ
कोई तो आएगा और आगे खिंचेगा मेरा हाथ
 पर उल्टा हाथ कि जागह मुझे चोट दिए अपने ताने से
ल‌ड़की हो ना तो डर थोड़ा जमाने से
क्या करेगी सपनो का कल को ससुराल भी तो जाना है
‌जरूरी नहीं आगे बढ़ना कहां तुझे चार लोगो को कमाकर खिलाना है
सपने को धीरे धीरे लोगो ने फिर तोड़ा
आगे का बची कुची कसर मां बाप ने नहीं छोड़ा
फिर खुद से हार ने लगी थी जब साथ छोड़ा सबने
 छोटी सी उमर थी छोटे से सपने 
उड़ना नहीं था आसमान में 
बस खड़ा होना था पैरों पर अपने
by Suraj Prakash sah

 continue in next part .........................

©Ek lamha Safar ka #SupportWomen #girl #Women 
#Shadow
छोटी सी उमर थी छोटे से सपने 
उड़ना नहीं था आसमान में 
बस खड़ा होना था पैरों पर अपने
मेहनत मैंने पुरी की
बल्कि ज्यादा जीतनी जरूरी थी
सोचा थोड़ा तो लोग देंगे साथ
कोई तो आएगा और आगे खिंचेगा मेरा हाथ
 पर उल्टा हाथ कि जागह मुझे चोट दिए अपने ताने से
ल‌ड़की हो ना तो डर थोड़ा जमाने से
क्या करेगी सपनो का कल को ससुराल भी तो जाना है
‌जरूरी नहीं आगे बढ़ना कहां तुझे चार लोगो को कमाकर खिलाना है
सपने को धीरे धीरे लोगो ने फिर तोड़ा
आगे का बची कुची कसर मां बाप ने नहीं छोड़ा
फिर खुद से हार ने लगी थी जब साथ छोड़ा सबने
 छोटी सी उमर थी छोटे से सपने 
उड़ना नहीं था आसमान में 
बस खड़ा होना था पैरों पर अपने
by Suraj Prakash sah

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#Shadow