खेतो की पकडंडिया अकसर लिजाती हमे मिलो दुर.... राहों में मिलजाते अक्सर हमे, इमली और बेरो के बुन.... सोर सराबा है इन, शहरों की गलियों में.... कई लोगों को अपनो से छिना, इन कॉन्क्रीट की गलियों ने.... नई सोच है यारों, नई सोच दिखलाए, शहरों की कॉन्क्रीट नष्ट कर, चले गांवों को फिर गोबर से लिप आए.... आवो फिर से गाँव बनाए.... #NojotoQuote आवो फिर से गाँव बनाए....