जो बदलते है मिज़ाज़ मौसम के हिसाब से उन्हें पढ़ा नही जा सकता है दुनिया दारी की किताब से आँखें उनकी अंधेरा ही निकली महज जिनकी तुलना की थी महताब से और आईना खुद का जब दिखेगा जब जागोगे तुम ख्वाब से और चारो और बस कांटे मिले मिल नही सका अपने गुलाब से ©dr_ravilamaba ©Dr Ravi Lamba #tehzeebhafipoetry #jaunelia #rahatindori #ghazal #hindi_poetry #hindighazal #urdu #munwwarrana #Trees Shristi Yadav Priya Nikalje