कोई राधा कोई मीरा, तो कोई हीर हुई, जीती जागती इश्क़ की तस्वीर हुई, आज भी दुहाई देते हैं आशिक इन्ही के नाम की, मोहब्बत किसी की,अब इनकी जागीर हुई, हीर