तुम मानो या ना मानो तुम भी वक़्त की साजिश़ का हिस्सा हो मेरे अनकहे प्यार का किस्सा हो बस इतना जानता हूँ इस अब्तर की तुम ही नफीसा हो (राज़) #राज़ #muktsar #punjab