देखो आज़ तीसरा दिन भी आया (अनुशीर्षक) मुझे "Yq" का मंच मिला, जैसे अपना "लोकतंत्र" मिला। खबर नहीं थी कोरा कागज की अभी, तभी "आरिफ" जी का मंत्र मिला, सीखते रहिए, लिखते रहिए...।☺️ वैसे तो लिखते आ रहे थे बचपन से ही, लिखनें का अब एक ऑनलाइन यंत्र मिला। प्रोत्साहन देते एक दूसरे को,