Nojoto: Largest Storytelling Platform

आज जी भरके देखा उसे उगते सूरज के नज़ारे सा बदन आंखो

आज जी भरके देखा उसे
उगते सूरज के नज़ारे सा बदन
आंखों में वो जटिल चिंगारिया
दहकते हुए अंगारे सा बदन
जी चाहा भरलू अपनी बाहों में
मगर जल ना जाऊं ये डर था मुझे
वो आयी मेरे करीब आलिंगन को
तो लगा झुलस जाऊंगा मैं
मगर सौम्य थी जैसे जल की धारा 
ताप उतरा मेरा तब सारा 
भर लिया हमने अपनी बाहों में 
था उसका भी समर्पण मुझमे समाने को

©Hitesh Mittal #Love #htgm #twoliner #sensual #Hug #true #poem #thought
आज जी भरके देखा उसे
उगते सूरज के नज़ारे सा बदन
आंखों में वो जटिल चिंगारिया
दहकते हुए अंगारे सा बदन
जी चाहा भरलू अपनी बाहों में
मगर जल ना जाऊं ये डर था मुझे
वो आयी मेरे करीब आलिंगन को
तो लगा झुलस जाऊंगा मैं
मगर सौम्य थी जैसे जल की धारा 
ताप उतरा मेरा तब सारा 
भर लिया हमने अपनी बाहों में 
था उसका भी समर्पण मुझमे समाने को

©Hitesh Mittal #Love #htgm #twoliner #sensual #Hug #true #poem #thought