आज जी भरके देखा उसे उगते सूरज के नज़ारे सा बदन आंखों में वो जटिल चिंगारिया दहकते हुए अंगारे सा बदन जी चाहा भरलू अपनी बाहों में मगर जल ना जाऊं ये डर था मुझे वो आयी मेरे करीब आलिंगन को तो लगा झुलस जाऊंगा मैं मगर सौम्य थी जैसे जल की धारा ताप उतरा मेरा तब सारा भर लिया हमने अपनी बाहों में था उसका भी समर्पण मुझमे समाने को ©Hitesh Mittal #Love #htgm #twoliner #sensual #Hug #true #poem #thought