वो इश्क़ था मेरा अब मेरी जान बन गया है! अब बेनाम नहीं मैं वही पहचान बन गया है! बेगानी सी ज़िंदगी से लाचार थी मैं बहुत, ज़िंदगी जीने का अब वो आधार बन गया है! रहस्य है वो या इतिहास की है कोई कहानी, वो अंजाना शख्स मेरा उपन्यास बन गया है! है सब जैसा ही बिल्कुल या ज़ुदा सा है बहुत, सबका है वो, पर मेरा बहुत ख़ास बन गया है! सफ़र के हर एक मोड़ पर वो सबका साथ निभाता है! मुझसे दूर होकर भी पास होने का एहसास दिलाता है! मासूम सा है दिल उसका और रूमानियत अंदाज़ है! हाँ वो इश्क़ है मेरा, उस इश्क़ पर सौ ज़िंदगी कुर्बान है! ♥️ Challenge-806 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।