आंखों के आंसू छुपाता रहा, मैं जग को गीत सुनता रहा, तब ऐसी चली तकदीर की आंधी, मैं फिर भी समा जलता रहा, जब लोग हकीकत जानेंगे, तब वो मुझे पहचानेंगे, फिर बनके परवाने रोयेंगे, तब तक मैं चला जाऊंगा, इस जहाँ से दूर चले जाऊंगा, आज है injam e jafa मुझपे, कल मेरी वफ़ा पर रोयेंगे, तब मैं चला जाऊंगा... sapna | haqiqat