किसी के लिए नशा, किसी के लिए जहर, किसी की जिंदगानी हूं। शराब हू साहिब, आज सुनाती अपनी कहानी हूं।। जब तक फल थी, अनाज थी, मीठी थी, किसी को ना लुभाई मैं। कड़वा जहर है फरमाइश सबकी, जिसके लिए गई पकाई मैं।। मुझे कहते बुरा सब, कहते घर बर्बाद हूं करती मैं। परिवर्तित करने से पहले कहां पूछा, कि परिवर्तन से कितना डरती मैं।। मानव की कमजोरियों का सहारा, उसने मुझे बना डाला। जिंदगी के कड़वे घुट वह ना पी सका, तो मुझे कड़वा बना डाला।। मयखानों में जाम में झलकती मैं। लोगों की कमजोरियों को ढकते चलती मैं।। जिंदगी गाल कर जाना मैंने, इंसान कितना अकेला है, मयखानों में देखो, वहां कितने अकेलों का मेला है। मिट जाए इंसानों में धोखे, फरेब और विश्वासघात का यदि जहर। मिट जाए मेरी भी जरूरत, ना बरसाना चाहती मैं किसी के जीवन में कहर।। गाल के मेरा जीवन फिर इंसान खुद को भी ना गलायेगा। जब इंसान इंसानियत पर बस प्रेम बरसायेगा। तामसिक इच्छाएं, इंद्रिय सुखों में जब तक इंसान डूबता जायेगा, ना चाहते भी मेरा जीवन कड़वाहट में बदलता जायेगा, जहर के नाम से ही यह जमाना मुझे बुलायेगा, जिंदगियां खराब करने वाली का, बस खिताब ही मुझे मिल पायेगा। ©Vasudha Uttam #Shraabkikahani #Nasha #Nojoto #Nojotohindi #Nojotonews #nojotoenglish Ruchika