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डगमग मैं जिस भव सागर में उस सागर की तू शान है, मै

डगमग मैं जिस भव सागर में 
उस सागर की तू शान है,
मैं कश्ती कच्ची कागज की
पर तू विशाल जलयान है।

हो मोक्ष पंथ के राही तुम
 इतनी अर्जी बस सुन लेना,
हमको भी पार निकलना है
कुछ हम खेते कुछ तुम खेना ।।

                                      ✍ मधुर भाईजी विद्यासागर
डगमग मैं जिस भव सागर में 
उस सागर की तू शान है,
मैं कश्ती कच्ची कागज की
पर तू विशाल जलयान है।

हो मोक्ष पंथ के राही तुम
 इतनी अर्जी बस सुन लेना,
हमको भी पार निकलना है
कुछ हम खेते कुछ तुम खेना ।।

                                      ✍ मधुर भाईजी विद्यासागर

विद्यासागर