उम्मीद का दामन जो छूटा तो रहा क्या बाक़ी नाउम्मीदी में चल दिए मयख़ाने और उठा ली साक़ी। बस हमसे ना हो पाएगी ये कायराना सी हरक़त उम्मीद पर दुनिया क़ायम कभी तो होगी शफ़क़त। उम्मीद के चराग़ की, मायूसी की आँधी में करूँ हिफाज़त आज नहीं तो कल होगी ज़रूर, ख़ुदा की मुझ पर रहमत ♥️ Challenge-628 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।