इश्क में आँसू बहे तो मेरी ही गलती थी, मंदिरों की चौखट, मजारो पर चादर , चढ़ाकर मिन्नते मैने ही मांगी थी खुदा से। तुम्हारे साथ की वरना मेने तो, तुम्हारी बेरुखी में जीना सीख , मन को नियति का खेल है ये समझा , बहला लिया था। कविता जयेश पनोत # ब्रोकन हार्ट