भोर का पंछी उड़ता हूं नीले अंबर में कुछ पाने के लिए मचल जाता है दिल मेरा भी जमाने के लिए बुनता रहता हूं कुछ सपने सच कर दिखाने के लिए भोर का पंछी हू आजमाने के लिए #Panchi #घायल परिंदा