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सड़को का राजा ये जो चांद से टपकती रौशनी की जो फुह

सड़को का राजा

ये जो चांद से टपकती रौशनी की जो फुहार पड़ती है,
ठंड पतझड़ की तरह ओस बन चढ़ती है,
गर्माहट को जब घूप उगने का साहस करती है,
जब हर और से काटने को परिस्थिति दौड़ती है।

जब सारी उम्मीद हो गई ओझल और दिखने लगा अंत,
एक मासूम सा हाथ खड़ा हो गया उम्मीद थी जबरजस्त,
जिसने हर दर्द को कर के बैठा है पस्त,
उसे क्या सर्दी नहीं सताती वो नंगे है मस्त,
चोट खा के हस्ते है कितना ऊंचा किया है उन्होंने अपना हद।

आधा नंगा सा सड़को पर सर्द में वो दौड़ता है,
हर पहलू पर नया पहलू खोलता है,
जिसके खुद के खाने का ठिकाना लापता है,
उसके गोदी में देखो छोटा सा बालक रोता है,
वो परेशान है कि उसके साथ ही ऐसा क्यों होता है।

अमीरों के चोट ये रोज सहते है,
कभी सड़क तो कभी खंडर कभी लोरी के नीचे रहते है,
जमीं भी उनको निगलने के फिराक में रहते है,
पर उनको देखो भले वो घुटने के बल पर खड़े रहते है,
और कहां वो किसी से कुछ कहते है । सड़को का राजा
#yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqtales #yqdada #yqhindi #yqbhaskar
सड़को का राजा

ये जो चांद से टपकती रौशनी की जो फुहार पड़ती है,
ठंड पतझड़ की तरह ओस बन चढ़ती है,
गर्माहट को जब घूप उगने का साहस करती है,
जब हर और से काटने को परिस्थिति दौड़ती है।

जब सारी उम्मीद हो गई ओझल और दिखने लगा अंत,
एक मासूम सा हाथ खड़ा हो गया उम्मीद थी जबरजस्त,
जिसने हर दर्द को कर के बैठा है पस्त,
उसे क्या सर्दी नहीं सताती वो नंगे है मस्त,
चोट खा के हस्ते है कितना ऊंचा किया है उन्होंने अपना हद।

आधा नंगा सा सड़को पर सर्द में वो दौड़ता है,
हर पहलू पर नया पहलू खोलता है,
जिसके खुद के खाने का ठिकाना लापता है,
उसके गोदी में देखो छोटा सा बालक रोता है,
वो परेशान है कि उसके साथ ही ऐसा क्यों होता है।

अमीरों के चोट ये रोज सहते है,
कभी सड़क तो कभी खंडर कभी लोरी के नीचे रहते है,
जमीं भी उनको निगलने के फिराक में रहते है,
पर उनको देखो भले वो घुटने के बल पर खड़े रहते है,
और कहां वो किसी से कुछ कहते है । सड़को का राजा
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sbhaskar7100

S. Bhaskar

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