@चिराग ए मौहबब्त@ रूह से रूह की मौहबब्त भी क्या ख्याल है, जैसे मयकदों मे इवादत गाहों का चिराग है। आज के दौर में मौहबब्त तो जैसे है लिबास लवालव शाम सहर खाली जो होता चिराग है। वादे पै वादे किये , अब उसको कहाँ ख्याल है, मशरूफ हो गया वो मुझमें जलता चिराग है। खुशफहमीयाँ थी वो , अब मेरी गमगीनियत है, अश्क ढलकते बाहर,अन्दर यादों का चिराग है। कुरेदते हो तुम जो जख्म इसमें क्या ख्याल है, दुनियाँदारी की बातो से जैसे मचलता चिराग है। मयस्सर नहीं आज के लिए,जन्मों की कहते हो, नेह का गीत कहाँ ,अश्कों से जलता चिराग है। जो फकीर थे तब उनको कहाँ इश्क का ख्याल है गर्दिशों के दौर में हवाओं के साथ जला चिराग है। भूल जाने दो उनको , मौहबब्तें मेरा तो काम हैं तन्हाइयों के तिमिर में भी फिर महकता चिराग है। राजेश गुप्ता "बादल" मुरैना म. प्र. #ishq #mohabbat #wade #shayri #hindi #writer #anshu #wafa