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चेतना भरकर खड़ा होता सबेरे ऐ जिन्दगी तू भी सहम जा।

चेतना भरकर खड़ा होता सबेरे ऐ जिन्दगी तू भी सहम जा। पत्थरों से खेलकर मै बडा हुआ ,कंकड़ो से डरना क्या। खन्जर भी सहम जाते हैं मेरी राहों में आने से, अरे पागल इन काँटों से डरना क्या ,ऐ जिन्दगी तू अब सहम जा।

©PANDIT SHIVAM #sunkissed  komal sindhe Bunty Kumari Arvind Rao ram singh yadav PANDIT  $h!v@m pandit
चेतना भरकर खड़ा होता सबेरे ऐ जिन्दगी तू भी सहम जा। पत्थरों से खेलकर मै बडा हुआ ,कंकड़ो से डरना क्या। खन्जर भी सहम जाते हैं मेरी राहों में आने से, अरे पागल इन काँटों से डरना क्या ,ऐ जिन्दगी तू अब सहम जा।

©PANDIT SHIVAM #sunkissed  komal sindhe Bunty Kumari Arvind Rao ram singh yadav PANDIT  $h!v@m pandit